यह श्रावण मास भगवान शिव शंकर जी को समर्पित होता है . इस श्रावण मास में हमारे भोलेनाथ जी का जलाभिषेक किया जाता है .इससे भगवान शिव अपने भक्तों पर कृपा करते है,और उनके कष्टो को दूर करते है. भोलेनाथ को प्रसन्न करना और सब देवी – देवताओं से आसान होता है, तथा यह भी सत्य है की बाबा भोलेनाथ को अपनी तपस्या से प्रसन्न करके आप किसी भी फल की प्राप्ति कर सकते है। हिन्दू धर्म में श्रावण के सभी सोमवार का व्रत रखने का विधान व महत्व होता है। साल 2021 के श्रावण के महीने में कुल चार सोमवार है . हिन्दू कैलेंडर के अनुसार 25 जुलाई को श्रवण का मास लगेगा और यह 22 अगस्त तक समाप्त होगा . मान्यता यह है की सावन महीने में भगवान् शिवशंकर की पूजा करने से हमारे सभी कष्टो का निवारण होगा तथा सभी मनोकामनाए भी पूरी होती है। पौराणिक तथ्य बताते है की श्रावण मास क्यों सबसे ज्यादा खास है.
- मर्कण्डु ऋषि के पुत्र मार्कण्डेय ने बड़ी लम्बी आयु के लिए श्रावण माह में ही घोर तपस्या भगवान् शिव को प्रसन्न किया और भगवान शिव से वरदान प्राप्त किया, जिससे मिली मंत्र शक्ति के सामने स्वयं मृत्यु के देवता यमराज भी नतमस्तक हो गए थे।
- भगवान शंकर को सावन महीना प्रिय होने का यह भी है की भगवान शिव सावन महीने में ही पृथवी पर अवतरित होकर अपने ससुराल गए थे और वंहा उनका स्वागत अर्घ्य तथा जलाभिषेक से किया गया था।. माना जाता है की प्रत्येक वर्ष सावन माह में भगवान् शिव अपने ससुराल आते हैं। तथा यह हमलोग यानि पृथवीवासी के लिए भगवान् शिव जी को प्रसन्न करने व उनका आशीष प्राप्त करने का उत्तम समय होता है।
- शिवपुराण में उलेख है की भगवान् शिव स्वयं हि जल हैं। इसलिए जल से उनकी आराधना का सर्वोत्तम फल है, जिसमें कोई संशय नहीं हैं।
- शास्त्रों में वर्णित है की सावन महीने में भगवान विष्णु योगनिंद्रा में चले जाते हैं। इसीलिए ये समय भक्तों और साधु -संत के लिए अमूल्य होता हैं। यह चार महीने में होने वाला एक वैदिक यज्ञ है, जिसे चौमासा भी कहते हैं; इस समय सृष्टि के संचालन का उत्तरदायित्व भगवान शिव शंकर ग्रहण करते हैं। इसीलिए सावन के प्रधान देवता भगवान भोलेनाथ हैं।